साज़ मेरे जीवन में भर गया

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आर. जे. रमेश, रेडियो मधुबन
कविता

आवाज़ जो उसने मुझको ऐसे दी,
कि साज़ मेरे जीवन में भर गया।
अपनों ने तो सुलझे प्रश्नों में भी उलझा रखा था
उसने यूँ ही मेरी हर बात को सुलझा दिया।
रास्ते में मेरे कितने अँधेरे थे,
आँखों में मेरी नयी रोशनी को जगा दिया।
मैं तो दिन के उजालो से भी डर जाता
उसने अँधेरों में भी चलना सीखा दिया।
अजब सी बात है उसमें
लाख कोशिश के बाद भी,
वो कही अदृश्य है आज भी
आवाज़ जो उसने मुझको ऐसे दी
कि साज़ मेरे जीवन में भर गया।
कि साज़ मेरे जीवन में भर गया।

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