जातीय उत्पीड़न की घटना पर किया रोष व्यक्त

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कोटद्वार। चमोली जनपद में स्थित, जोशीमठ ब्लॉक के सुभाई गांव में अनुसूचित जाति के शिल्पकार समाज के परिवारों के साथ घटित जातीय उत्पीड़न की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर शैलशिल्पी विकास संगठन ने भारी रोष व्यक्त करते हुए मांग कभ् है कि, उक्त प्रकरण के आरोपियों को संविधान के तहत कठोर से कठोर सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। संगठन ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि, उत्तराखंड को देवभूमि कहते हैं। उत्तराखण्ड में इस प्रकार की घटनाएं घटित होना बहुम ही शर्मनाक है।
जारी बयान में कहा गया है कि, सुभाई गांव की घटना से यह स्पष्ट नजर आता है की देश की आजादी एवम् देश में संविधान लागू होने के 7 दशकों बाद भी उत्तराखंड के अधिकांश गांवों में कानून का शासन अभी तक लागू नहीं हो सका है। तभी तो उत्तराखंड में आज भी तथाकथित उच्च जातियां गांवों में अपने पंचायती फरमान सुनाकर देश के संविधान एवम् कानून व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं ।
जिस तरह जनपत चमोली के विकासखंड जोशीमठ में स्थित सुभाई गांव के किसी धार्मिक आयोजन में बीमार होने की वजह से शिल्पकार समाज के ढोल वादक ढोल बजाने नहीं पहुंच सके, जिस पर सामान्य जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों पर पंचायत के माध्यम से जुर्माना लगाया गया। उन्हे जाति सूचक गालियां दी गई साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया, उन्हें पानी के स्रोतों, गांव के सार्वजनिक रास्तों आदि के मौलिक अधिकारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फरमान सुना दिया गया।
अनुसूचित जाति के लोगों ने गांव की पंचायत में सामान्य जाति के लोगों द्वारा अपने साथ हुई जातीय उत्पीड़न की इस विभत्स घटना के खिलाफ जोशीमठ थाने में 28 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिस पर पुलिस द्वारा घटना की गम्भीरता को देखते हुए आरोपी 28 लोगों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट सहित विधिसम्मत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है ।
उक्त घटना की पुर्नावृत्ति न हो इसके लिए शासन-प्रशासन को चाहिए की इस घटना को एक नजीर के रूप में प्रस्तुत करते हुए आरोपियों को कठोर से कठोर सजा दिलाई जाय ताकि भविष्य में जातीय उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं देखने को न मिले।
संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर सुभाई गांव जोशीमठ की इस घटना में आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही नहीं होती है तो शैलशिल्पी विकास संगठन सहित पूरे प्रदेशभर में अनुसूचित जाति के दर्जनों संगठन एक वृहद आंदोलन के लिए बाध्य होंगे, क्योंकि उक्त घटना से अनुसूचित जाति समाज में गहरा रोष व्याप्त है

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