“जड़ें एवं पंख-आत्मीय जुडाव” विषय पर आधारित चार दिवसीय समर कैम्प की हुई शुरूआत

कोटद्वार। बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोटाढाक में “जङे एवं पंख- आत्मीय जुङाव” विषय पर आधारित चार दिवसीय समर कैम्प के शुभारम्भ पर मुख्य अतिथि, कोटद्वार के प्रतिष्ठित व्यवसायी सी. पी. शर्मा, विशिष्ट अतिथि आधारशिला रक्त समूह के संचालक रक्तपुरुष दलजीत सिंह एवं पार्षद सौरभ नौडियाल का स्वागत “शाल व भगवदगीता” भेंट कर की गई। कैम्प का उद्घाटन अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
मुख्य अतिथि ने बाल भारती के “जड़ें और पंख-आत्मीय जुड़ाव” विषय पर आधारित समर कैम्प की सराहना करते हुए बताया कि पहले परिवार कभी वह वट- वृक्ष था जो श्रीमदभगवद गीता, रामायण, वेद-पुराण जैसे धर्म ग्रंथों के ज्ञान व दादा-दादी की सीख से सिंचित होता था, जिसकी छाँव में बच्चों मे संस्कार पनपते थे। जहां ग्रंथों पर संवाद होता था, आँखों में समझदारी और रिश्तों में दायित्वबोध होता था। हमारी वैदिक परंपराओं एवं सनातन संस्कृति की जड़ों को मजबूत कर हमें आज भी विश्व-गुरु का चिंतन-बोध कराता है। माता-पिता, विद्यालय व प्रेरक सुधिजनों के सहयोग से ही बच्चे अपनी संस्कृति और मूल्यों से जुड़कर अपने पंखों को मजबूत करते हैं, सफलता की उड़ान भरते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं।
बाल भारती के प्रधानाचार्य गिरिराज सिंह रावत ने “जड़ें और पंख -आत्मीय जुड़ाव” विषय पर आधारित समर कैम्प के माध्यम से सिमटते संस्कारों व पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने हेतु एक छोटी सी अभिनव पहल बताया। आज के युग में दादा-दादी व माँ की कहानियों की जगह यूट्यूब ने, पिता की गोद की जगह मोबाइल स्क्रीन ने, और भाई-बहन की तकरार की जगह ऑनलाइन गेम्स ने ले ली है। घर में सब हैं, लेकिन “अपने-अपने स्क्रीन“ में गुम, रिश्ते हैं, पर “अनदेखे-अनसुने“, प्यार है, पर “इमोजी में सिमटा“, संवाद है, पर “व्हाट्सएप पर सीमित“। हमने तकनीक को तो अपनाया, पर भावनाओं, संस्कारों, रिश्तों को खो दिया। हमने स्क्रीन को जिया, पर जीवन के मूल्यों व स्पर्श को भूल गए।
प्रधानाचार्य ने स्पष्ट किया कि आत्मीय-जुड़ाव की अवधारणा केवल बेहतर मानवीय मूल्यों व संस्कारों के माध्यम से ही जीवंत व सँवारे जा सकते हैं। किताबी ज्ञान केवल अच्छे अंक लाने हेतु “ज्ञान का ढांचा” है, जबकि किताबों के बाहर का ज्ञान जिंदगी की असली परीक्षा है जो बिना सिलेबश के होती है लेकिन आत्मा को भीतर से परिपक्व बनाती है । यह समर कैम्प केवल गतिविधियों का संग्रह नहीं, बल्कि वह आत्मीय पुल है जो हमें संवेदना, प्रेम, करुणा, सहयोग, संयम, ईमानदारी, सहनशीलता, विनम्रता एवं आत्म-चिंतन जैसे मानवीय मूल्यों से जोड़ता है।
मंच का संचालन प्रवक्ता एकता नौटियाल ने किया एवं सम्पूर्ण कार्यक्रम रूपरेखा रीना भट्ट व रवींद्र भारद्वाज के मार्ग दर्शन में सम्पन्न हुआ जिसमें पहले दिन की शुरुआत योग-साधना के अभ्यास के उपरांत नर्सरी-प्राइमरी वर्ग द्वारा जुमा डांस, कलर हन्ट, ड्राई क्राफ्ट व जूनियर वर्ग द्वारा “माँ की सीख” पर संवाद, मानव मूल्यों का वृक्ष, लीफ पैन्टिन्ग तथा सीनियर वर्ग छात्रों को “मेरे सपनों की उड़ान”, प्रेरणादायक व्यक्तित्व व क्रिटिकल थिंकिंग विषयों पर प्रस्तुति दी गई।
इस दौरान विद्यालय में उपस्थित माता-पिता, अभिभावकों व क्षेत्रीय प्रतिनिधियों ने समर कैम्प की विषय-वस्तु को एक सराहनीय कदम बताया एवं कार्यक्रम संयोजिका सरोजनी रावत समन्वयक हिमानी रावत व सभी अध्यापकों का आभार प्रकट किया।