मेरी तीन कविताएं

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कविता

बाबा की याद में

आर जे रमेश, रेडियो मधुबन

जब बाबा को याद करो,

आत्मा पवित्र हो जाएगी,

उनकी कृपा से जीवन में,

हर मुश्किल आसान हो जाएगी।

उनके चरणों में है शांति,

उनकी बातों में है ज्ञान,

उनकी मूरत देखो जब भी,

मिट जाए हर एक गुमान।

बाबा की महिमा गाओ,

हर दिन और हर रात,

उनकी भक्ति में डूबकर,

पाओ सच्ची सौगात।

जब भी मन हो उदास,

बाबा का नाम लो,

उनकी ममता की छांव में,

हर दर्द को भुला दो।

उनकी राह पर चलो,

सच्चाई का दीप जलाओ,

बाबा की कृपा से,

जीवन को सफल बनाओ।

 सम्मान का धन

आर जे रमेश, रेडियो मधुबन

तुम कुछ ना दे सको

तो क्या हुआ

सम्मान देना

बड़ा धन है तुम्हारा

दिल से निकले शब्दों

का जादू बन जाएंगे

मोती प्यारे

नहीं चाहिए सोना

चांदी या हीरा

सम्मान देना

यह है प्यारा सीरा

एक मुस्कान

एक नम्र निगाह

कर देगी मन को

शांत और सुहाग

बड़े-बड़े लोग

भी तरसते हैं

सम्मान के

कुछ पल के लिए

तुम दे दो

अपना सम्मान

बन जाएगा जीवन

महान

चाहे छू न सकूँ आसमान

आर ज रमेश, रेडियो मधुबन

चाहे छू ना सकूँ आसमान

तो क्या हुआ मेरे यार

दिलों को छू सकूँ अगर

तो यहीं जन्नत है यार

न ऊंचाइयों की चाह

ना बंधनों से प्यार

दिलों के इस बंधन में

पाया सारा संसार

दोस्ती का सफर है ख़ूबसूरत

हर पल है यादगार

यारों के साथ हों हम

तो क्यूं चाहिए और संसार

चाहे छू लूं मैं सितारें

या रहूं जमीन पर

यारों के दिलों में बसू

यही तो है मेरी ख्वाहिश प्यारी

यह दोस्ती का बंधन

है अटूट प्यारा

इस सागर में है डूबा

हर एक दिल हमारा

चाहे छू ना सकूँ आसमान

तो क्या हुआ मेरे यार

दिलों को छू सकूँ अगर

तो यहीं जन्नत है यार

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