मेरी तीन कविताएं

Spread the love

कविता की महिमा

आर जे रमेश, रेडियो मधुबन

कविता की महिमा, अनंत है,

दिल को छूती, मन को भाती है।

शब्दों का जादू, रचता संसार,

कल्पना की उड़ान, ले जाती दूर तार।

कविता की महिमा, अद्वितीय है,

जीवन का रंग, नया करती है।

हर पल, हर क्षण, साथ देती है,

सृजन का सौंदर्य, दिखाती है।

भावनाओं का सागर, शब्दों में उतरता है,

हृदय में गूंजता, जीवन को भरता है।

कविता की शक्ति, असीम है,

मन को उड़ा देती, आकाश में।

कविता की महिमा, अद्वितीय है,

जीवन का रंग, नया करती है।

हर पल, हर क्षण, साथ देती है,

सृजन का सौंदर्य, दिखाती है।

ज़िन्दगी की मज़दूरी

आर जे रमेश, रेडियो मधुबन

जिन्दगी की मजदूरी

ये अजीब है, ये अजब है,

जीवन पाने को, मरना पड़ता है।

हर साँस एक संघर्ष है,

हर पल एक नया संकट है।

ख्वाबों के लिए जगना पड़ता है,

मंजिल पाने को, भटकना पड़ता है।

मिलता कुछ नहीं मुफ्त में,

दाम चुकाना पड़ता है।

खुशियों के लिए गम सहना पड़ता है,

उड़ान भरने को, गिरना पड़ता है।

ये जीवन है, एक परीक्षा है,

हर पल एक नई चुनौती है।

मिट्टी में मिल जायेगी एक दिन,

ये देह, ये रूप, ये नश्वर तन।

पर याद रहेगी, मेरी पहचान,

मेरे कर्मों की निशानी।

मौन का सागर

आर जे रमेश, रेडियो मधुबन

मौन सागर में डूबकर,

मन को पाता हूँ मैं स्वच्छंद।

त्याग की मशाल जलाकर,

हृदय को करता हूँ नि:संदेह।

तपस्या की अग्नि में जलकर,

आत्मा को पाता हूँ निर्मल।

मौन ही है मेरा मंत्र,

त्याग ही है मेरा कर्मफल।

संसार के शोर से दूर,

मैं बैठा हूँ शांत और स्थिर।

अंतर्मन का संगीत सुनता,

मिलता है मुझे आनंद असीम।

मौन से ही मिलती है शक्ति,

त्याग से ही मिलती है मुक्ति।

तपस्या से ही मिलता है ज्ञान,

जीवन का सच्चा ज्ञान।

ReplyForwardAdd reaction

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *