आत्मा का सागर
कविता
आर जे रमेश, रेडियो मधुबन
सूरज चांद सितारों से आगे
जहाँ आत्मा का सागर
न समय का बंधन यहाँ
शांति की धारा निरंतर
अंतर्मन का मंदिर जगमगाता
ज्ञान का दीपक जलता
सर्व बंधन मुक्त अब
हर पल आनंद आता
आत्मा और परमात्मा
एक हुए ये सच्चा
सभी दुखों से मुक्त यहाँ
हम अब हैं यहाँ
चौरासी जन्मों का सफर
आखिरकार मिली वो विद्या
शांति की धारा बहती
हर क्षण अमर कथा
न देह का कोई भार यहाँ
सिर्फ गति में बहता
परमात्मा की छाया में
हर पल का आनंद सच्चा
आत्मा और परमात्मा
एक हुए ये सच्चा
सभी दुखों से मुक्त यहाँ
हम अब हैं यहाँ