नूर नज़र आता है
कविता
आर. जे. रमेश, रेडियो मधुबन
नूर नज़र आता है,
जब भी मैं सुबह उठता हूँ
तुम्हरी आँखों में एक चमक नज़र आती है II
एक अनोखी, एक अदृश्य शक्ति
मेरे अंदर भर देता है
मैं पूरे दिन के लिए एक ख़ुशी
व नये एहसास के साथ जी उठता हूँ,
जब भी मैं सुबह उठता हूँ
तुम्हारी आँखों में एक चमक नज़र आती है II
हज़ारो लोग है इस दुनिया में
पर तुम सबसे जुदा हो,
तुम्हारी बात है अलग,
अब तुम हो मेरे और मैं तुम्हारा,
जब भी में सुबह उठता हूँ
तुम्हारी आँखों में एक चमक नज़र आती है II
कोशिश मैंने बहुत की
पाने की तुम्हे, पर सफल नहीं हुआ
जब कोशिश करना छोड़ दिया,
तब तुने मुझे थाम लिया,
जब भी मैं सुबह उठता हूँ
तुम्हारी आँखों में एक चमक नज़र आती है II