मन में सुमन खिलते हैं

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कविता

आर. जे. रमेश, रेडियो मधुबन

मन में सुमन खिलते हैं,

जब हम ज्ञान के रंग में रंगते हैं,

ज्ञान की हर बिंदु में  

समाया है, अनोखा रहस्य

चिंतन करूं मैं जितनी 

आनन्द की उठे लहरें मन में उतनी II

मन कभी-कभी गुम  हो जाता है 

तेरी यादों में 

तेरी बातों में 

लगता है जैसे,

सब कल ही की बात हो II

देखता हूँ हर पल तुम्हें मैं 

अपने साथ कभी चिंतन में 

तो कभी नुमाशाम की वेला में  

तो कभी अमृतवेला में II

मन को अतीन्द्रिय सुख मिलता है 

गद-गद  हो जाता हूँ मैं 

ये सोच-सोच कर 

क्यों इतनी देरी से आपसे मिला 

चलो अब जो हुआ सो हुआ 

दिल कहता है बस,

एक बाबा, एक मुरली, एक मधुबन

और नहीं कुछ है मुझे भाए II

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