साहित्यांच्ल ने किया स्वर्ण जयंती समारोह का किया आयोजन
कोटद्वार। साहित्यिक संस्था साहित्यांच्ल ने संस्था के 50 स्वर्णिम वर्ष पूरे होने पर भव्य स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया। नजीबाबाद रोड स्थित एक वेडिंग पॉइंट में आयोजित समारोह की अध्यक्षता साहित्यांच्ल के निवर्तमान अध्यक्ष जनार्दन बुडाकोटी ने तथा संचालन चंद्रप्रकाश नैथानी, संयोजक, स्वर्ण जयंती आयोजन समिति ने किया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष जनार्दन बुडाकोटी, प्रोफेसर नन्दकिशोर ढौण्डियाल ’अरुण’, डॉ. वेदप्रकाश माहेश्वरी ’शैवाल’, चक्रधर शर्मा ’कमलेश’, योगेश पांथरी, अशोक निर्दोष, डॉ. ललन बुडाकोटी व डॉ. मनोरमा ढौंडियाल द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया ।
निवर्तमान अध्यक्ष जनार्दन बुडाकोटी ने 50 वर्षों की साहित्य साधना पर प्रकाश डाला व संस्था के दिवंगत सदस्यों का स्मरण करते हुए कहा कि अब तक संस्था 500 पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है । प्रसिद्ध रंगकर्मी अनुसूया प्रसाद डंगवाल ’सरस’ के तत्वाधान में एक चित्र प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमे डॉ. रणबीर सिंह चौहान, मंजुल ढौडियाल, बीना मित्तल की पेंटिग्स भी शामिल थी ।
इस अवसर पर साहित्यांच्ल के संस्थापक व संरक्षक वेदप्रकाश माहेश्वरी ’शैवाल’ के 82 वें वर्ष प्रवेश व साहित्यिक सेवाओं के लिए ’अभिनन्दन’ किया गया व डॉ. मनोरमा ढौण्डियाल व डॉ. ललन बुडाकोटी को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु ’साहित्यांच्ल रत्न सम्मान – 2023’ से सम्मानित किया गया।
समारोह में साहित्यांच्ल के संरक्षक पूर्व अध्यक्ष प्रो. नन्दकिशोर ढौण्डियाल ’अरुण’ ने कहा कि साहित्य का सृजन करना, 50 वर्षो तक निरंतर साहित्य प्रकाशन करना अपने आप मे बहुत बड़ी गौरव की बात है उन्होने कहा कि साहित्य रचना नए युग का सृजन करना होता है । इस अवसर पर अशोक निर्दोष, डॉ. मनोरमा ढौण्डियाल, डॉ. ललन बुडाकोटी, योगेश पांथरी, चक्रधर शर्मा ’कमलेश’, डॉ. वेदप्रकाश माहेश्वरी ’शैवाल’, डॉ. पी सी जोशी, प्रवेश नवानी, सुरेन्द्र लाल आर्य आदि ने अपने विचार व्यक्त किये
समारोह में शशिभूषण अमोली, बीना मित्तल, मोहिन नौटियाल, डॉ. पंकज भारद्वाज, मंजेश ठाकुर, मनोज मानव, प्रेम बलोदी, डॉ. अशोक गिरी, डॉ.चंद्रमोहन बड़थ्वाल, जनार्दन ध्यानी, महेश चंद्रा, एस एन नौटियाल, डॉ. अनुराग शर्मा, राकेश अग्रवाल, हीरा सिंह बिष्ट, जगत राम जोशी, श्याम प्रसाद कोटनाला, माधवी रावत, हरि सिंह भंडारी, डॉ. नन्दकिशोर खंडूड़ी आदि अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।